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बिना अनुमति नदी से रेत खनन नहीं, खनन माफियाओं पर कितना कारगर होगा ये शिकंजा ?

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बिना अनुमति नदी से रेत खनन नहीं, खनन माफियाओं पर कितना कारगर होगा ये शिकंजा ?

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नदी से रेत खनन करने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहमति लेना अनिवार्य कर दिया है। यह नियम 1 सितंबर 2023 से देश की सभी नदियों पर लागू हुआ। क्यों लेनी होगी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति खान एवं खनिज अधिनियम के अंतर्गत रेत एक गौण खनिज है। इस नियम के अनुसार रेत का प्रशासनिक नियंत्रण राज्य सरकार के पास होगा।रेत खनन का सम्बंध मुख्य तौर से किसी खुले गड्ढे से रेत निकालना है। हालांकि नदी के किनारे, समुद्र के किनारे या इससे लगे क्षेत्रों से भी रेत खनन किया जाता है। नए नियम क्यों जरूरी रेत खनन से अनेक तरह की पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जिसका संबंध केवल पर्यावरण तक सीमित नहीं रहता। यह आर्थिक-सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी हमें प्रभावित करता है। अनियमित खनन से पर्यावरण की दृष्टि से निम्नलिखित परिणाम सामने आते हैं. 1- नदी के रास्तों में बदलाव आता है। 2- नदी के किनारो में कटान ( तटों का अपरदन) हो जाता है। 3- पानी के पुनः भंडारण को प्रभावित करता है। 4- जल में रहने वाले जीवों एवं पौधों को प्रभावित करता है।

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