नरेला में वीरान पड़ा कंक्रीट का जंगल

दिल्ली के दिल से लगभग 40 किलोमीटर दूर एक शहर बसाया गया। शहर को नाम दिया गया नरेला। साल 2010 में हरियाणा की सीमा से लगे नरेला में दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी ने 47844 फ्लैट्स बनाए। इतने फ्लैट्स एक साथ बनाने का मुख्य उद्देश्य शहर के भीड़ भरे इलाके से निकालकर लोगों को यहां बसाना था। लेकिन 2023 के नवंवर तक 7361 फ्लैट्स ही डीडीए द्वारा बेचे जा सके। और आसान तरीके से कहूं तो डीडीए ने इन 13 सालों में लगभग 15 प्रतिशत फ्लैट्स ही बेंच पाए। बाकी बचे हुए 40483 फ्लैट्स अब तक नहीं बिक पाए।

आखिर क्यों नहीं बिके फ्लैट्स ?–

अनेक समस्याओं में से सबसे बड़ी समस्या कनेक्टिविटी का अभाव है। यहां के रहने वाले मानते हैं कि यहां कुछ भी नही है हम पांच साल पहले यहां रहने आए थे तब भी यहां कुछ नही था और आज भी यहां कुछ खास नहीं है। यहां के लोग शहरियों को प्राप्त होने वाली मूल सुविधाओं के भी न मिल पाने का जिक्र करते हैं जैसे बस स्टैंड घर से दूर है, अस्पताल के लिए भी काफी दूर जाना पड़ता है। रात होने के बाद अपराधिक घटनाओं के डर की वजह से सोसायटी के बाहर न के बराबर दुकानें खुली होती हैं।

पुराने लोग जगह क्यों नहीं छोड़ पा रहे ?-

अधिकांश लोग घरों को बेचकर कहीं दूसरी जगह घर नही खरीद सकते। क्योंकि आज से 6 या 7 साल पहले जिस कीमत पर फ्लैट खरीदा था आज उसकी कीमत बढ़ने के बजाय घट गई है। इसलिए अपने अधिक कीमत वाले फ्लैट को कम कीमत में बेचने पर घाटा तो होगा ही साथ ही नई जगह जाकर ज्यादा रुपए देकर भी घर खरीदना होगा। इस कारण उन्हें दो तरफ़ से पैसे का नुकसान होगा।

डीडीए की जेब पर अतिरिक्त बोझ–

इन फ्लैट्स के रख रखाव में डीडीए की जेब पर हर साल अतिरिक्त बोझ आता है। साल दर साल इन फ्लैट्स में टूट- फूट होती रहती है। जिस कारण इनको रहने लायक बनाए रखने के लिए समय-समय पर डीडीए को अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है।

फ्लैट्स बेचने को डीडीए और सरकार की कोशिशें–

अक्सर डीडीए इन्हें बेचने के लिए तरह-तरह के लाभ देकर लोगों को प्रोत्साहित करती रहती है ताकि लोगों को यहां बसाया जा सके। उदाहरण के लिए- आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग (ईडब्लूएस) को फ्लैट्स खरीदने पर 40 % की छूट दी थी।

यूनीवर्सिटी के हाॅस्टल्स बसाने का प्लान भी बनाया गया। डीडीए ने अर्बन एक्सटेंशन रोड- 2 के पास 50 एकड जगह की पहचान की है। ताकि यहां अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, फाइव स्टार होटल और विश्व की बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा सकें।

डीडीए इन फ्लैट्स को बनाने में तकरीबन पन्द्रह हजार करोड़ रुपयों की लागत आई थी। हजारों फ्लैट्स बिके न होने के कारण उनकी मरम्मत और देख-रेख में डीडीए की जेब अभी भी समय-समय पर ढीली होती रहती है।

दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने एक योजना के तहत रेड लाइन मेट्रो को आगे बढ़ाने की योजना बनाई है। इसके तहत रेड लाइन को रिठाला से कुंडली तक चौथे चरण में आगे बढ़ाया जाएगा। यह योजना 2019 में शुरू हुई थी जिसका अंत दिसंबर 2024 तक होना था। लेकिन कोविड के कारण योजना में हुई देरी से यह 2026 तक खत्म होने की संभावना है।

कैसे होगा एरिया का विकास ?

विशेषज्ञों का मानना है कि मैट्रो के आने से लोगों का क्षेत्र के लिए जुड़ाव बढ़ेगा। वे मानते हैं कि जब मैट्रो बनकर तैयार होगी तब नही बल्कि निर्माण कार्यों की शुरुआत होते ही लोगों का इस ओर ध्यान बढ़ जायेगा। ऐसा होने से सरकारें भी आधारभूत ढांचे के विकास पर जोर देना शुरु कर देंगी। फिर जब मैट्रो का निर्माण हो जाएगा तब आस पास के जमीनों के दाम बढ़ने लगेंगे और धीरे धीरे अन्य सुविधाओं और विकास कार्यों का भी निर्माण हो सकेगा।

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